मनुष्य की प्रगति


नरसंहार के शिकार

 

 

शायद हमारी आधुनिक संस्कृति का सबसे अदूरदर्शी पहलू यह है कि हम उन्नति के रेखीय मार्ग पर हैं। कि हम मानवीय उपलब्धियों, अतीत की पीढ़ियों और संस्कृतियों की बर्बरता और संकीर्णतावादी सोच के पीछे छोड़ रहे हैं। कि हम पूर्वाग्रह और असहिष्णुता की बेड़ियों को ढीला कर रहे हैं और एक अधिक लोकतांत्रिक, स्वतंत्र और सभ्य दुनिया की ओर अग्रसर हैं।

यह धारणा न केवल झूठी है, बल्कि खतरनाक है।

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