
अनुभव के मूल पर
आज पूर्ण विकसित संकट है- मानव कामुकता में संकट। यह एक ऐसी पीढ़ी के मद्देनजर है जो हमारे शरीर और उनके ईश्वर द्वारा डिजाइन किए गए कार्यों की सच्चाई, सुंदरता, और अच्छाई पर लगभग पूरी तरह से अप्राप्त है। लेखन की निम्नलिखित श्रृंखला एक स्पष्ट चर्चा है उस विषय पर जो प्रश्नों के बारे में कवर करेगा वैकल्पिक रूप विवाह, हस्तमैथुन, सोडोमी, ओरल सेक्स इत्यादि क्योंकि दुनिया हर दिन इन मुद्दों पर रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट पर चर्चा कर रही है। क्या चर्च के पास इन मामलों पर कहने के लिए कुछ नहीं है? हम कैसे जवाब देंगे? दरअसल, वह कहती है- उसके पास कहने के लिए कुछ सुंदर है।
यीशु ने कहा, “सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा। शायद यह मानव कामुकता के मामलों से ज्यादा सच नहीं है। यह श्रृंखला परिपक्व पाठकों के लिए अनुशंसित है ... पहली बार जून, 2015 में प्रकाशित हुई।
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